देश को चलाने के लिए नेता की अवशक्यता है। लोकतंत्र वाले देश में लोग नेता चुनते है जो अच्छा बोलता हो । इतना अच्छा बोलता हो कि वो लोगों को भविष्य के सपने दिखाकर वर्तमान ही छीन लेता हो। भविष्य के सुनहरे सपने इतने हसीन हो की जनता फटाक से अपना वर्तमान नेता जी और उनकी पार्टी को सौप दे।

देश चलाने के लिए कुछ चीजें ज़रूरी होती है। जैसे सरकार कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस। और कोई कानून व्यवस्था टूट जाए तो उसके लिए कोर्ट न्यायालय है पुलिस है वकील है जज है जो न्याय व्यवस्था के सूत्रधार है। देश चलाने के लिए एक चीज और आवश्यक है संविधान जो देश के नियम और कानून का जनक हो जनता और सरकार के कामों का बटवारा कर देश को प्रगति पथ चलाने का काम करती है।

देश चलाने के लिए इच्छाओं का होना बहुत जरूरी है क्योंकि एक तो इंसान सामाजिक प्राणी है और ऊपर से इच्छाओं का गुलाम है । इच्छाएं रोजगार को जन्म देती है। जितनी तेज़ी से इच्छाएं बदलेंगी रोजगार सृजन भी होगा। और यह देश को चलाने के लिए एक जरुरी अंग बन जाता है इस लिहाज़ से।

अगर इंसान की इच्छाएं मरने लगेंगी तो देश संकट में आ सकता है क्योंकि लोग इच्छिओ की पूर्ति नहीं करेंगे रोज़गार का सृजन होना बंद हो जाए। लोग बस से आना जाना बंद कर देंगे पेट्रोल का दम बंद गिर जाएगा। पेट्रोल और डीजल की मांग कम हो जायेगी जैसे ही मांग कम होगी लोग बेरोजगार होना शुरु हो जायेंगे। इस लिए मनुष्य के जिंदा होने के साथ उसकी इच्छाओं का जिंदा होना भी उतना ही जरूरी है जितना की मनुष्य का जिंदा होना। अगर इंसान इच्छा नहीं करेगा तो सपने नही देखा और सपने नही देखा तो उन्हें पूरा करने का प्रयास कैसे करेगा? और इसके लिए नेता जी के लिए भी कोई काम बचेगा नही नेता जी भी बेरोजगार हो जायेंगे। और बिना नेता जी के न देश चलेगा और न हम।इसलिए अगर नेता जी को बेरोजगार होने से बचाना है तो मनुष्यो को इच्छाओं और अवशकताओ का गुलाम बने रहना पड़ेगा।