दुनिया में करीब 200 देश है और जिनमे से 30 से 35देश जल विवाद को लेकर आपस में उलझे रहते है । जल ही जीवन जल है तो कल है ऐसे तमाम मुहावरे या कहावते हमने जल की गंभीरता को लेकर जरूर पढ़ेंगे होगे और वास्तव में दुनिया और दुनिया की आबादी के लिए जंगल संकट जैसी गंभीर समस्या मुंह खोल खड़ी हो गई है।तीसरी दुनिया के देशों की खराब हालत के पीछे एक बड़ी वजह स्वच्छ जल की कमी है। जब से जल संकट के बारे में विश्व में चर्चा शुरू हुई तब से एक विचार प्रचलित हुआ है कि तीसरा विश्व युद्ध जल आपूर्ति के लिये होगा। वास्तव में अब जल संबंधी चुनौतियाँ गंभीर हो गई हैं। वर्ष  1995 में विश्व बैंक के उपाध्यक्ष इस्माइल सेराग्लेडिन ने कहा था कि ‘इस शताब्दी की लड़ाई तेल के लिये लड़ी गई है लेकिन अगली शताब्दी की लड़ाई जलापूर्ति के लिये लड़ी जाएगी।’ इस आलेख में जल संकट के कारण, प्रभाव और उनका समाधान ढूँढने का प्रयास किया जाएगा।

आइए जानते है की जल संकट उत्पन्न कैसे शुरू हुआ?

  • नील नदी पर बना ग्रैंड इथोपियाई रेनेंशा डैम अफ्रीका महाद्वीप की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना है।
  • नील नदी सूडान के खारतूम से निकल कर इजिप्ट होते हुए भूमध्य सागर में गिरती है। खारतूम में ब्लू नील नदी और व्हाइट नील नदी के मिलने से नील नदी का निर्माण होता है।
  • अफ्रीकी देश तंजानिया, केन्या और उगांडा की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील से व्हाइट नील नदी का उदगम होता है, वहीं ब्लू नील नदी का उदगम इथोपिया में स्थित ताना झील से होता है।   
  • इथोपिया अफ्रीका महाद्वीप का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है और ग्रैंड इथोपियाई रेनेंशा डैम को अपनी संप्रभुता के प्रतीक के रूप में देखता है। 
  • इथोपिया 4 अरब डाॅलर की लागत से ब्लू नील नदी पर बाँध का निर्माण कर देश की लगभग 60% आबादी तक बिजली की आपूर्ति बढ़ाकर  बुनियादी ढाँचे की खाई को पाटना चाहता है। 
  • परंतु पूर्णतः नील नदी के जल पर निर्भर इजिप्ट और सूडान को डर है कि ब्लू नील नदी पर निर्मित बाँध से नील नदी में जल का प्रवाह कम हो सकता है जिससे दोनों देशों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।   
  • जल संकट का यह डर ही तनाव का कारण बनता है और तनाव में वृद्धि से युद्ध की आशंका जन्म लेती है।

ये सभी जल संकट के विवाद की वजह है।

जल संकट की वैश्विक स्थिति

  • पृथ्वी पर कुल जल का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि कुल जल का 97.3% खारा जल है और पृथ्वी पर उपलब्ध कुल जल का केवल 2.07% ही शुद्ध जल है जिसे पीने योग्य माना जा सकता है। अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो दुनिया के दो अरब लोगों को पीने के लिये स्वच्छ जल नहीं मिल पाता है जिससे उन्हें हैजा, आंत्रशोध आदि जानलेवा बीमारियों के होने का खतरा रहता है। 
  • एक अनुमान के अनुसार एशिया का मध्य-पूर्व (Middle-East) क्षेत्र , उत्तरी अफ्रीका के अधिकांश क्षेत्र, पाकिस्तान, तुर्की, अफगानिस्तान और स्पेन आदि देशों में वर्ष 2040 तक अत्यधिक जल तनाव (Water Stress) की स्थिति होने की संभावना है।
  • जल संकट से सर्वाधिक ग्रसित 17 देश इस प्रकार हैं- क़तर, इज़राइल, लेबनान, ईरान, जॉर्डन, लीबिया, कुवैत, सऊदी अरब, इरीट्रिया, संयुक्त अरब अमीरात, सैन मरीनो, बहरीन, भारत, पाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ओमान, बोत्सवाना।
  • इसके साथ ही भारत, चीन, दक्षिणी अफ्रीका, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देशों को भी उच्च जल तनाव का सामना करना पड़ सकता है।

भारत में जल संकट की स्थिति

  • भारत में लगातार दो वर्षों के कमज़ोर मानसून के कारण 330 मिलियन लोग या देश की लगभग एक-चौथाई जनसंख्या गंभीर सूखे से प्रभावित हैं। भारत के लगभग 50% क्षेत्र सूखे जैसी स्थिति से जूझ रहे हैं, विशेष रूप से पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों में जल संकट की गंभीर स्थिति बनी हुई है। 
  • नीति आयोग द्वारा वर्ष 2018 में जारी समग्र जल प्रबंधन सूचकांक (Composite Water Management Index) रिपोर्ट के अनुसार, देश के 21 प्रमुख शहरों में निवासरत लगभग 100 मिलियन लोग जल संकट की भीषण समस्या से जूझ रहे हैं। भारत की 12% जनसंख्या पहले से ही ‘डे ज़ीरो’ की परिस्थितियों में रह रही हैं।

हर साल भारत में सूखे और अकाल का की समस्या गंभीर रूप लेने लगी है दिल्ली, चेन्नई , मध्य प्रदेश ,गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में गर्मियों के समय ये शहर पीने के पानी के लिए जिद्दोजहद कर रहे है और जल विवाद मनुष्य के पीने के पानी के लिए विवाद की गंभीर समस्या बनता जा रहा है । अकाल पड़ने के कारण महाराष्ट्र ,मध्य प्रदेश , राजस्थान के किसान आय दिन आत्महत्या कर लेते है। लास्ट साल यह आंकड़ा भारत में 10650 के करीब था।

यह पानी को सांकेतिक करने वाला मात्र एक बेहद खुबसूरत दृश्य है।